थीम अच्छी है
पिछले दिनों इक अतिथि घर पर आये| वे बचपन से ही मुझे या मेरे साथ वालों को किसी लायक नहीं समझते| लेकिन वे अपने घर की बेटियों को बहुत अच्छी सोच का, समझते है| चाहे उनकी बेटियां किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचे| बात हो रही थी इक फिल्म के बारे में "my name is khan" तो मुझसे पूंछा गया की क्या है इस फिल्म में ? मैंने कहा "थीम अच्छी है" तो मुझे तुरंत लौट के जबाब मिला "थीम अच्छी चाहिए तो "श्रवण कुमार , हरिश्चंद्र" पढो| मै अवाक् रह गयी| ये वही इन्सान थे जिनकी माँ दर-ब-दर परेशान होती रही| उनकी मृत्यु बहुत बुरे हालातों में हुयी| लेकिन यदि उनकी बेटियों ने कोई भी टिप्पणी दी होती तो उसे वो जरुर उत्साहित करते| मै समझ नही पाती हूँ उनको कभी| मेरे ख्याल से कोई भी वैश्विक विषय व्यर्थ नहीं है| अगर हम किसी विषय की चर्चा करते है तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं की हम दूसरे विषयों की अवहेलना कर रहे है| कई साल पहले वे हमारे घर पधारे, मेरी माँ ने उन्हें बताया की "मेरी बेटी बहुत अच्छी कवितायेँ लिखती है| बोले दिखाओ , तो मैंने दस कवितायेँ थमा दी| बोले और है की इतनी ही ? मैंने ४५ पन्ने द...