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अजीब शब्दों के चयन वाले व्यक्ति

आज क्यूँ न कोई ऐसी बात आप लोगों को बताऊँ जिसमें से मै खुद गुजरी हूँ| काफी दिन हुए, पास के घर में इक दीदी रहा करती थी| मुझे सम्मान भी देती थी और  वापस भी ले लिया करती  थी| कई बार उनके इम्तेहान के दिनों में मैंने उनके लिए रात में  जाग कर चाय बनायीं| उनके लिए अपना काम दरकिनार कर उनके काम से गयी| कई बार उनके श्रीमुख से ऐसे वचन सुने की नही लिख सकती यहाँ| दीदी मुझे जब भी याद करती थीं मै उन तक पहुच जाती थी कि उन्हें तकलीफ न हो  और तो और उनकी कुछेक परेशानियाँ मेरे परिवार ने भी सहीं, सिर्फ इसलिए ही की उन को मैंने अपनी "दीदी" कहा था| इक दिन मुझे अचानक से लगा कि दीदी मुझे देख कर न देखने की कोशिश करती है, अब मुस्कराती भी नहीं, और अगर मै  मुस्कराने की पहल करती तो वे मुझे खुद में ही लज्जित करा देती थी| ये भी बता दूँ की "दीदी" के अपने गृह-नगर लौटने के दिन करीब थे| और मुझसे सम्बन्धित सारे काम ख़त्म हो चुके थे या अब मेरी  उपयोगिता उनके पास नहीं रही.....हाँ तो ; मैंने सोचा की मै अपने अनुमान लगाने की बजाये खुद उन्ही से पूँछ लूँ कि मुझसे ऐसी क्या गलती हो गयी है.......तो दीदी ...