अजीब शब्दों के चयन वाले व्यक्ति
आज क्यूँ न कोई ऐसी बात आप लोगों को बताऊँ जिसमें से मै खुद गुजरी हूँ| काफी दिन हुए, पास के घर में इक दीदी रहा करती थी| मुझे सम्मान भी देती थी और वापस भी ले लिया करती थी| कई बार उनके इम्तेहान के दिनों में मैंने उनके लिए रात में जाग कर चाय बनायीं| उनके लिए अपना काम दरकिनार कर उनके काम से गयी| कई बार उनके श्रीमुख से ऐसे वचन सुने की नही लिख सकती यहाँ| दीदी मुझे जब भी याद करती थीं मै उन तक पहुच जाती थी कि उन्हें तकलीफ न हो और तो और उनकी कुछेक परेशानियाँ मेरे परिवार ने भी सहीं, सिर्फ इसलिए ही की उन को मैंने अपनी "दीदी" कहा था|
इक दिन मुझे अचानक से लगा कि दीदी मुझे देख कर न देखने की कोशिश करती है, अब मुस्कराती भी नहीं, और अगर मै मुस्कराने की पहल करती तो वे मुझे खुद में ही लज्जित करा देती थी| ये भी बता दूँ की "दीदी" के अपने गृह-नगर लौटने के दिन करीब थे| और मुझसे सम्बन्धित सारे काम ख़त्म हो चुके थे या अब मेरी उपयोगिता उनके पास नहीं रही.....हाँ तो ; मैंने सोचा की मै अपने अनुमान लगाने की बजाये खुद उन्ही से पूँछ लूँ कि मुझसे ऐसी क्या गलती हो गयी है.......तो दीदी ने कहा "मेरे थोड़े से दिन और यहाँ बचे है, तुम यहाँ रहो और मुझे भी रहने दो"| फिर कुछ दिन बाद मुझे उन्होंने सही बात बताई- "वेदिका तुम्हारे शब्द इतने अजीब होते है कि मुझे समझ नही आते, तुम इतनी कठिनता से जीवन जीती हो तो मुझे परेशानी होती है| मै सुनकर हतप्रभ रह गयी, फिर मैंने ये सोच कर चैन की सांस ली कि कोई तो ऐसा है मेरे जिन्दगी में, जिसके मापदंड "चोरी करने वाले व्यक्ति, झूठ बोलने वाले, ठगने वाले, जलन, ईर्ष्यालु, राग द्वेष, कटुता, अभिमानी, लोभी" आदि विकारों वाले व्यक्ति न होकर "अजीब शब्दों के चयन वाले व्यक्ति" है|
चलते -चलते यह भी स्पष्ट कर दूँ कि मै किसी भी बात को बिना किसी भूमिका के, सीधे और सरल लहजे में बोलती हूँ, इस बात का ध्यान रखते हुए कि मेरे शब्द किसी को भूले से भी ठेस न लगा दें|
बस ऐसे ही बनी रहिये। आपकी तस्वीर पर आ कर नज़र ठहर जाती है। बहुत सुन्दर । आशीर्वाद
ReplyDeleteJo sochti hain, wahi likhti hai. Koi dikhavaa nahi--- isey saadgi kahtey hai.
ReplyDeleteMubarak baad.
aap to bahut sundar hain
ReplyDeletemuskan bhi achchhihain
baate bhi khub achchhi likhi ho
sundar
vedika ji,
ReplyDeleteaapko apne jiwan kaa maapdand tay karne mein yahi 'ajib shbd chayan'' aur sahaj saral baaten raah prashast aur sushobhit kare, shubhkaamnayen.
Abhi bhi likhti ho...? aur ye kya likhna shuru kar diya... poora vikhra hua, ashwasth, tumhari kavitayen hi khubsurat hain...
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